शाम के पौने सात बजे थे. बिजली कटी हुई थी. पूरी गली में अँधेरा छाया हुआ था.
पर प्रोफेसर पी के श्रीवास्तव का घर दूधिया रोशनी में समझो नहा सा रहा था. उनके बड़े बेटे छोटू की शादी थी.
अमूमन तो छोटे बेटे का नाम छोटू रखा जाता है. पर यहां हुआ ऐसा था कि जब छोटू पैदा हुआ तो वो इतना छोटा था कि लोगों ने उसका नाम छोटू रख दिया. भाई मोहल्ले का भी कुछ हक़ तो बनता ही था प्रोफेसर साहब पर.
खैर फ़िलहाल छोटू को रहने दीजिये, काम की बात करते हैं.
पूरी गली में अँधेरा था तो प्रोफेसर सब घर टिमटिमा कैसे रहा था? उसके लिए आपको प्रोफेसर साहब के छोटे साले लल्लन को धन्यवाद देना पड़ेगा. लल्लन जी ने पीछे के फेज से बिजली खींच ली थी. अगर बिजली खींचने में कोई यूनिवर्सिटी पीएचडी वगैरह देती है तो लल्लन को तो ज़रूर मिलना चाहिए.
“बहुत बढ़िया बिजली खींचे हो लल्लन,” प्रोफेसर साहब ने लल्लन से कहा.
लल्लन ने इसका जवाब अजीब तरह से मुस्कुरा के दिया. ये वैसी ही मुस्कराहट थी जो मिडिल एज्ड भारतीय आदमियों में अक्सर पायी जाती है, जब वो कुछ कहना चाहते हैं पर कह नहीं पाते हैं.
“क्या हुआ?” प्रोफेसर साहब ने पुछा. वो समझ गए कि लल्लन कुछ कहना चाह रहा है.
“जीजाजी वो व्यवस्था हो गयी है ना?” लल्लन ने एकदम लजा लजा के पुछा, जैसे की किसी की शादी में पहली बार दारु पीने वाले हों.
“हाँ, आखरी वाली कार में सब रखवा दिया है. ओल्ड मोंक, वैट 69, सब कुछ.”
“और चखना वगैरह?”
“उसका भी बंदोबस्त हो गया है. समधी जी को गाडी का नंबर दे दिया है. जैसे ही हम लोग बरातघर पहुंचेंगे, सेवा शुरू हो जाएगी. चिल्ली चिकन वगैरह सब.”
इससे पहले की लल्लन कुछ कह पाते, कमरे में, छोटू, बड़े ही गुस्सैल मूड में घुसा.
अब थोड़ा सा आपको दूल्हे राजा के बारे में भी बता दे.
छोटू दिल्ली यूनिवर्सिटी से पढ़े थे. पिताजी का बहुत अरमान था कि आईएएस अफसर बने. दो एटेम्पट दे चुके थे. दूसरी बार mains भी क्लीयर हुआ था. इंटरव्यू में वो थोड़ा लड़खड़ा गए थे. पैनल में दो लेडीज़ थी और उनके सामने छोटू जी ने एकदम चुप्पी साध ली थी.
खैर, mains क्लीयर करने के बाद, पूरे मोहल्ले में उनका बहुत नाम हो गया था. लोग छठवीं-सातवीं के बच्चों को लेकर छोटू के पास करियर एडवाइस मांगने आते थे.
इन सब चीज़ों से ज़्यादा मैरिज मार्किट में छोटू का वैल्यू बहुत बढ़ गया था. इस साल mains क्लीयर अगले साल कलेक्टर भी बनेगा, पंडित ये बोल बोल कर रिश्ते फिक्स करने की कोशिश कर रहा था.
प्रोफेसर साहब ने ये सोचा की अभी छोटू का वैल्यू ऊपर है, इसलिए उसे भंजा लेना चाहिए. क्या पता कलेक्टर बने या न बने? प्रोफेसर साहब ने तो शहर के सबसे बड़े आईएएस कोचिंग सेंटर वाले से भी बात कर रखी थी. अगर तीसरा एटेम्पट भी बेकार गया तो छोटू को वहां लगवा देंगे.
और छोटू की उम्र भी हो रही थी. ऐसे तो तीस साल के थे पर सर्टिफिकेट पर 27 की उम्र थी. इसकी वजह से शादी में प्रॉब्लम भी हो गयी थी. जिस लड़की से बात चल रही थी, उसकी उम्र सर्टिफिकेट पर 28 थी. फिर बातों बातों में पता चला की लड़की असल में 29 की है और मामला सुलझ गया.
छोटू जी बहुत गरम थे.
“पापा, आप भी कौन से बैंड वाला लेकर आ गए हैं.”
“क्यों, जमाल बैंड है. हमारी शादी में भी यहीं बजाया था.”
इससे पहले की छोटू कुछ कह पाता लल्लन बीच में कूद पड़े.
“क्या बढ़िया बढ़िया गाना बजाता है. आज मेरी यार की शादी है. मेरी देश की धरती सोना उगले, उगले हीरे मोती…”
“सब पुराना गाना है,” छोटू ने कहा.
“अरे क्या पुराना है. यही सब गाना पर तो नागिन डांस होता है. अब क्या हम लोग तुमरा शादी में नागिन डांस भी नहीं करेंगे,” लल्लन ने थोड़ा गरम होकर जवाब दिया.
“पापा, पर दोस्त सब कैसे नाचेगा. वो लोग को ई सब गाना नहीं बुझायेगा.”
“क्या करें फिर?” प्रोफेसर साहब ने पुछा.
“एक ठो डीजे बुला ले?”
“डीजे?” प्रोफेसर साहब थोड़ी सोच में पड़ गए. “किसको बुलाओगे?”
“अरे पीछे वाली गली मैं पुट्टुवा रहता है ना?
“कौन पुट्टु? वो जो चार बार एटेम्पट दिया?”
“हाँ वही पापा।”
“डीजे बन गया है आजकल वो?”
“हाँ पापा, बहुत जोरदार बजाता है. डीजे वाले बाबू मेरा गाना चला दे. डीजे वाले बाबू मेरा गाना चला दे.”
“अच्छा बुला लो.”
प्रोफेसर साहब की इतनी कहने कि देर थी और छोटू उछलते कूदते हुए कमरे से बाहर निकल गया.
उसके निकलते ही प्रोफेसर साहब ने लल्लन से कहा: “जाओ देखो तुम्हारी दीदी तैयार है कि नहीं.”
“हाँ जीजाजी,” कहकर लल्लन कमरे से निकल गया.
प्रोफेसर साहब ने अपना मोबाइल फ़ोन निकाला और समधी को फ़ोन लगाया.
“बस आपका ही इंतज़ार कर रहे हैं,” समधी जी ने जवाब दिया.
“अच्छा, थोड़ी सी समस्या हो गयी है.”
“क्या समस्या?” समधी जी ने घबरा कर पुछा, आखिर लड़की की शादी का मामला था.
“अरे छोटू बाबू को अब डीजे भी चाहिए.”
“तो इस में क्या है. बुला लीजिये. एक ही बार तो हमारी बेटी से शादी करेगा. तो थोड़ा नाच गाना तो होगा ही.”
“धन्यवाद्,” प्रोफेसर साहब ने जवाब दिया.
“अरे आपका बेटा हमारा बेटा।”
“हम लोग एक घंटे में पहुँच जाएंगे,” ये कहकर प्रोफेसर साहब ने फ़ोन काट दिया.
प्रोफेसर साहब का फ़ोन काटते ही समधी जी उठे और अपनी पत्नी को खोजते हुए निकले.
“अरे रश्मी, खाने का 50 प्लेट और कम करना पड़ेगा.”
“काहे?” पत्नी ने थोड़ा इर्रिटेट होकर पुछा.
“छोटू बाबू को डीजे चाहिए.”
“ओह.”
“भाई हम आरबीआई में केवल क्लर्क थे, नोट छापने की मशीन आरबीआई के पास है हमारे पास नहीं.”
आधे घंटे बाद.
छोटू की बारात रोड पर है बरातघर की तरफ, कछुए की रफ़्तार से बढ़ रही है.
डीजे वाले बाबू तेरा गाना चला दे, बार बार बज रहा है. एक बार डीजे बजा रहा है. एक बार जमाल बैंड. दोनों में प्रतिस्पर्धा चल रही है.
लल्लन नागिन डांस करने में लगे हुए हैं. पर तोंद इतने निकल गयी है कि कम्बख्त हाथ ज़मीन नहीं छू पा रहे हैं.
इतने में धमाका टीवी के रिपोर्टर राजू जो वहां से गुज़र रहे हैं, बारात में इतने सारे लोग देख कर चकित रह गए हैं. कोरोना काल में सरकार ने बारात में परमिशन तो केवल 50 लोगों की दी है. पर यहाँ तो कम से कम 200 लोग चल रहे हैं.
रिपोर्टर राजू माइक लेकर अपने कैमरामैन के साथ जल्दी जल्दी दूल्हे के घोड़े की तरफ भागे.
छोटू टीवी रिपोर्टर को देखकर बहुत खुश होता है, घोड़े से नीचे उतरता है उससे बात करने के लिए.
“कितने लोगों का बारात है?” रिपोर्टर राजू पूछता है.
“अब सर, डेढ़ दू सौ लोग तो जइबे करेगा न बरात में,” मुँह में गुटका दबाये हुए, छोटू जवाब देता है.
“और अगर इसकी वजह से कोरोना फैल गया तो कौन ज़िम्मेवार होगा?” रिपोर्टर राजू पूछता है.
“कोरोना वरोना कुछ नहीं है.”
“मतलब?”
“अरे होता तो इतना बड़ा बड़ा रैली करते नेताजी.”
“एह?”
“और हम अंग्रज़ी अखबार पढ़ते हैं. अभी अभी इंडियन एक्सप्रेस में भल्ला और भसीन ने लिखा कि रैली से कोरोना नहीं फैलता है.”
राजू का सर घूमने लगा.
“जब रैली से कोरोना नहीं फैलता है तो बारात से कैसे फैलेगा?”
राजू का सर और भी घूमने लगा.
“सब पप्पू का साज़िश है. वही फैला रहा है ये सब नेगेटिविटी. ज़रा पॉजिटिव बात कीजिये सब अच्छा होगा.”
राजू का सर पूरी तरह से घूम जाता है और अपने कैमरामैन से कहता है: “ज़रा माइक धरो.”
और इसके बाद वो छोटू को पीटने लगता है.
बारात नाचने में मस्त है, जैसी की शादी न हो मैय्यत में आये हो, और सब के सब लगाए हुए हों.
जब तक बारात को समझ आता है क्या हो रहा है, लाइव टीवी पर छोटू पिट चूका होता है.
इस कहानी का अंत
यहाँ से इंस्पायर्ड है.