शर्मा जी, वर्मा जी एंड द रिटर्न ऑफ़ कोरोना

सुबह के साढ़े पांच पौने छे बजे थे. सूरज धीरे धीरे निकलने का प्रयत्न कर रहा था. 
वर्मा जी अपने घर के बगान में गरम पानी लेकर कुर्सी पर अभी अभी बैठे थे. गरम पानी मोशन सुधारने के लिए नहीं था. उसमें वर्मा जी ग्रीन टी का एक बैग डुबोने वाले थे. 
twinings ग्रीन टि का बड़ा डब्बा दो दिन पहले छोटी बहु ने अमेज़न से भिजवाया था.
“पापा आपकी तोंद फिर से निकल आयी है,” बड़े प्यार से वो बोली थी. “थोड़ा सुबह उठकर ग्रीन टी पीजिये.” 
इस पर मिसेज वर्मा खिसिया कर बोली: “हाँ, अब तो आप हमारे हाथ की बनी चाय भी नहीं पियेंगे.” पहले तो केवल बेटे को खो देने का गम था. अब पति भी हाथ से निकला जा रहा था. 
इतने में शर्मा जी अपने घर से पूरी तरह तैयार हो कर सुबह की सैर करने के लिए निकले. और जब लोग मुँह पर दो दो मास्क लगा रहे हैं, उन्होंने ने एक भी लगाने की गुंजाईश नहीं की थी. 
“अरे शर्मा जी मास्क तो लगा लीजिये,” वर्मा जी ने पुकारा. 
“भाई हम दो दिन पहले ही गंगा जी में डुबकी लगाए हैं,” शर्मा जी ने जवाब दिया. 
“अच्छा तब तो ठीक है.”
“हाँ.”
“वैसे भी मिश्रा जी अभी दो दिन पहले…”
“कौन वाला मिश्रा, पान वाला या गुटका वाला?” शर्मा जी ने पुछा. 
“पान वाला.”
“हाँ फिर ठीक है.” 
“क्यों?” वर्मा जी ने पुछा. 
“अरेु ऊ गुटका वाला बहुत थूकता है हर जगह.” 
“अब का करेगा, गुटका का पीक मुंह में थोड़े रखा रहेगा.” 
“छोड़िये. आप क्या कह रहे थे?” शर्मा जी ने पुछा.  
“हाँ तो मिश्रा जी एक ठो फॉरवर्ड भेजे थे व्हाट्सप्प पर.”
“अच्छा.”
“उसमें ऐसा लिखा था कि, ऑक्सफ़ोर्ड यूनिवर्सिटी में रिसर्च हुआ है…”  
“अब ऑक्सफ़ोर्ड यूनिवर्सिटी में रिसर्च नहीं होगा तो का रांची यूनिवर्सिटी में होगा?” शर्मा जी ने टोका और फिर अपने ही चुटकुले पर ज़ोर ज़ोर से हसने लगा. “आप भी न वर्मा जी.” 
“अरे आप बोलने तो दीजिये.” 
“अच्छा, बोलिये बोलिये.” 
“तो ऑक्सफ़ोर्ड यूनिवर्सिटी में एक ठो रिसर्च हुआ है. उसमें ये पाया गया कि गंगा जी में डुबकी लगाने से बॉडी में ऐसा ऐसा मिनरल आ जाता है, जिससे कोरोना पास भी नहीं आता है, दुरे से निकल लेता है.”
“हम तो बोल ही रहे थे,” शर्मा जी ने कहा. 
“हाँ, पर फिर भी लगा लीजिये, नहीं तो ठोलवा सब पकड़ लेगा.”
“इतना सुबह सुबह?” 
“हे हे.” 
“ऐसे मिशरवा हमको भी एक फॉरवर्ड भेजा था,” शर्मा जी ने कहा. 
“पान वाला या गुटका वाला?” 
“गुटका वाला।” 
“गुटका वाला?”
“हाँ थूकता बहुत हैं, पर फॉरवर्ड अच्छा भेजता हैं.”
“हमको तो नहीं भेजता है.” 
“अरे, आप टेलीग्राम पर हैये नहीं है की.”
“टेलीग्राम? ऊ तो कितने साल से बंद हो गया नहीं?” वर्मा जी ने एकदम आश्चर्यचकित हो कर कहा. 
“अरे, वो वाला नहीं.”
“तो फिर कौन वाला.”
“अभी अभी व्हाट्सप्प जैसा आया है.” 
“व्हाट्सप्प जैसा टेलीग्राम?” वर्मा जी के पल्ले नहीं पड़ रहा था कि शर्मा जी क्या बोल रहे थे. 
“आपके यहाँ कपडा कौन वाशिंग पाउडर में धुलता है?”
“मिसेज़ को तो सर्फ एक्सेल पसंद है. पर बहुत महंगा पड़ता है, इसलिए थोड़ा रिन के साथ मिला देते हैं.”
“हमारी मिसेज़ को अरियल पसंद है.”
“अच्छा.”
“अब जैसे अलग अलग वाशिंग पाउडर आता है…”
“अच्छा अब समझ में आया. टेलीग्राम नया टाइप का व्हाट्सअप है,” वर्मा जी ने मुस्कुराते हुए कहा. 
“हाँ.”
“तो आप क्या कह रहे थे?” वर्मा जी ने पुछा. 
“तो गुटका वाला मिशरवा एक ठो फॉवर्ड भेजा,”  शर्मा जी बोले. 
“अच्छा.”
“उसमें ये बताया था कि कोरोना जैसा कुछ नहीं है. पूरा का पूरा एक साज़िश है,” शर्मा जी ने कहा. 
“साज़िश? किसका?” 
“सीआईए और बिल गेट्स का.”
“एह. हम तो सुने कि चाइनीज़ लोग चमगादड़-वमगादड़ खाकर इसको फैलाया है.”
“अरे ऊ तो पुराना न्यूज़ है. अभी सुनिए.”
“अच्छा.”
“सीआईए और बिल गेट्स, मिलकर अफवाह फैलाया है कोरोना के बारे में.”
“पर वो लोग ऐसा क्यों करेगा?”
“देखिये सीआईए का तो मालूम नहीं, पर बिल गेट्स का हम समझ सकते हैं.”
“समझ सकते हैं?” वर्मा जी ने पुछा. “कैसे?” 
“अरे, अब इतना पैसा कमा लिया. माइक्रोसॉफ्ट को इतना बड़ा कंपनी बना दिया. तीन ठो बच्चा लोग भी बड़ा हो गया है उसका. घर छोड़ कर जाने के लिए तैयार है.”
“हाँ तो?” वर्मा जी के समझ में कुछ नहीं आ रहा था. 
“हम लोग के यहाँ तो बच्चा लोग जब घर भी छोड़ता है, तो माँ बाप के बारे में सोचता है. दादा दादी, नाना नानी बनाता है. इसलिए हम लोग का मन लगा रहता है और समय बीतता जाता है.”
“एकदम सही बोले आप शर्मा जी,” वर्मा जी ने कहा. कल रात को ही खबर आयी थी कि उनके सबसे छोटे बेटे चिंटू और उसकी बीवी रिंटू को, इशू होने वाला है. 
“पर अमरीका में इंडिया जैसा वैल्यूज नहीं न है. तो बिल गेट्सवा अब बोर हो गया है. इसलिए सीआईए के साथ मिलकर अफवाह फैला दिया कोरोना के बारे में.” 
“अरे बाप रे.”
“एकदम. मिश्रा जी का फॉरवर्ड कभी गलत नहीं होता है. कोरोना जैसे कुछ नहीं है. और जो है ही नहीं वो किसी को कैसे हो सकता है.”
तभी शर्मा जी के घर के अंदर से आवाज़ आयी. 
“अच्छा सुनते हैं,” मिसेज़ शर्मा बोली. “आधा दर्जन अंडा और एक डबल रोटी भी ले आइयेगा.”
“हाँ ठीक है,” शर्मा जी ने जवाब दिया. 
“अंडा?” वर्मा जी ने पुछा. “आप लोग अभी भी अंडा खाते हैं?” 
“काहे?”
“अरे आप को कोई मेनका गाँधी का अंडे वाला फॉरवर्ड नहीं भेजा क्या आज तक व्हाट्सप्प पर.”