तुमसे भी प्यार करती हूँ,
और उनसे भी इकरार करती हूँ.
क्या करूं इस ज़ालिम दिल का,
मैं तुम दोनों से प्यार करती हूँ.
Month: August 2011
छलावा
क्या हकीकत थी तुम या सिर्फ एक छलावा,
में जानता नहीं.
जानता हूँ तो बस इतना,
के जब भी तुम्हारी भूरी भूरी आँखों ने मुझे देखा,
तो मोहब्बत से देखा.
जब भी तुम्हारे होंठ थरथराये,
तो मेरे लिए थरथराये,
जब भी तुमने किसी का हाथ पकड़ा,
तो मेरा हाथ पकड़ा.
तुम एक हसीं ख्वाब थी?
या एक धमाकेदार धोका?
में जानता नहीं.
बस इतना जानता हूँ,
के तुम्हे भुलाने में बहुत वक़्त लगेगा.
बारिश के दर्द को सुन पाओगी?
सुबह से बादल गरजता रहा,
रात भर रात रोती रही.
मेरा जनाज़ा उठता रहा,
उसकी बारात होती रही.
वो नहीं मिला मुझे तो क्या हुआ,
एक बरसात ही थी जो साथ होती रही.
क्या मेरे साथ आओगी,
बारिश के दर्द को सुन पाओगी?
जो ख्वाब था वो खो गया
जो होंठ मिले
तो चिपक से गए
फिर
बादल गरजे
बिजली चमकी
लहरें उछली
पलके झपकीं
पानी बरसा
और हवा चली.
जो ख्वाब था वो खो गया.
high tide का तीखापन
Dark Clouds.
और हलकी हलकी बारिश.
तेज हवा में उड़ते तुम्हारे sea-green earrings.
दूर क्षितिज पर जलता RBS का signboard.
और पास, तुम्हारी साँसों की गहमागहमी,
चढ़ी हुई भंवें,
आँखों का काजल,
नाक की नथनी,
होठों का आकर्षण,
लहराता stole,
पीला कुरता,
नीली जींस,
गीली कोल्हापुरी.
और रिश्ते की गहराई को मापने के लिए, चुम्बन का तीखापन.
High tide में तुम मेरे इतने करीब आ जाती हो.
तुम मुझसे इतनी दूर क्यूं हो?
*रिश्ते की गहराई को मापने के लिए, चुम्बन का तीखापन – ये पंक्ति धरमवीर भारती कृत गुनाहों का देवता से ली गयी है