“हम भी वही बोले.”
“तब तो टीका उत्सव चल रहा था न.”
“हम भी वही बोले.”
“मोदी जी दिन में 18 घंटे काम कर रहे हैं और ई सब compounder लोग से दू ठो सुई नहीं संभल रहा है.”
“हम भी वही बोले,” मिसेज़ वर्मा ये बोलकर जैसे अटक सी गयी.
“और आपका चुन्नू ठीक है?” मिसेज़ शर्मा ने पुछा.
“हाँ ठीक ही है,” मिसेज़ वर्मा का जवाब आया.
“अरे क्या बताएं,” मिसेज़ वर्मा बोलीं.
“मतलब?”
“सबका वर्क फ्रॉम होम चल रहा है.”
“हाँ तो?”
“अरे आदमी घर से काम करता है तो थकता कम हैना. ज़्यादा ताकत रहता है ”
“अच्छा समझे.”
“ऐसे तुमको एक बात बोलेंगे, बुरा मत मानना.”
“अरे नहीं बोलिये, बुरा काहे मानेंगे, ” मिसेज़ वर्मा ने कहा.
“हमारी मंझली दीदी का लड़का हैना.”
“कौन बबलू?”
“हाँ. तो वो भी बहुत दिन तक इशू नहीं किया.”
“अच्छा फिर?”
“फिर क्या, दवाई का आदत लग गया. बहुत मुश्किल से हुआ.”
“क्या बोला?”
“मतलब?”
“हम समझाये, के बेटा, बच्चा कोई मतलब के लिए थोड़े पैदा करता है. बच्चा पैदा करना होता है, इसलिए पैदा करता है.”
“अच्छा. फिर क्या बोला?” मिसेज़ शर्मा ने पूछा.
“ओह, ऐसा बोल दिया.”
“हाँ.”
“ऐ माँ, गाय है क्या जो बांध कर रखेंगे.”
“सही कहीं आप.”
“हमारी बड़ी दीदी का लड़का…”
“चिंटू?”
“हाँ. वो भी जेनयू गया था, करीब दस साल पहले.”
“अच्छा.”
“बस बंगाली लड़की से शादी कर लिया.”
“अरे बाप रे. बहुत एग्रेसिव होगी वो तो?”
“हैये है कि. कच्चा चबा गयी अपनी सास को,” मिसेज़ शर्मा ने कहा.
“दीदी और जीजाजी आपके मान कैसे गए?” मिसेज़ वर्मा ने पूछा.
“शुरू में नहीं माने थे. फिर चिंटू बोला, शादी कर रहे हैं, आना है तो आईये, नहीं तो भाड़ में जाईये.”
“बच्चा लोग के सामने आदमी मजबूर हो जाता है.”
“एकदम. हम तभी राजू को जेनयू नहीं भेजे. बोले यहीं रांची यूनिवर्सिटी में पढ़ लो.”
“एकदम ठीक की.”
“कहेंगे नहीं. वो तो पूरा पोलिटिकल साइंस पढ़े हैं,” मिसेज़ वर्मा ने कहा.
तभी मिसेज़ वर्मा के घर के अंदर से आवाज़ आयी. “शीला, गप मारना ख़तम करो. भूक लगी है. डिनर दे दो.”
“हाँ.”
“पर पौने सात बजे डिनर?”
“अब क्या बताएं.”
“क्या हुआ?”
“अरे छोटी बहु बोल दी है कि पापा आपका तोंद निकल गया है. अच्छा नहीं लग रहा है.”
“ओह चुन्नू की मिसेज़ ऐसा बोल दी.”
“हाँ.”
“तो?”
“इंटरमिटेंट फास्टिंग.”
“हाँ वही करने की कोशिश कर रहे हैं.”
“अच्छा.”
“इनको न हमेशा से मन था कि एक बेटी भी हो,” मिसेज़ वर्मा ने थोड़ा शर्मा के कहा. “इस लिए छोटी बहु का बात इतना ध्यान से सुनते हैं.”
“अच्छा.”
“तीन लड़का के बाद, बोले एक बार और ट्राई करते हैं, हो सकता है इस बार बेटी हो जाए.”
“अच्छा.”
“पर हम हाथ खड़ा कर दिए.”
“अच्छा.”
“बोले, और ताकत नहीं है.”
“अच्छा.”
“पहले ही तीन बच्चा संभालना…”
“शीला,” मिसेज वर्मा के घर के अंदर से फिर आवाज़ आयी.
“जब आप कहियेगा.”
“जुम्मे रात को?”
“नहीं आधी रात को.”