छलावा


क्या हकीकत थी तुम या सिर्फ एक छलावा,
में जानता नहीं.
जानता हूँ तो बस इतना,
के जब भी तुम्हारी भूरी भूरी आँखों ने मुझे देखा,
तो मोहब्बत से देखा.
जब भी तुम्हारे होंठ थरथराये,
तो मेरे लिए थरथराये,
जब भी तुमने किसी का हाथ पकड़ा,
तो मेरा हाथ पकड़ा.
तुम एक हसीं ख्वाब थी?
या एक धमाकेदार धोका?
में जानता नहीं.
बस इतना जानता हूँ,
के तुम्हे भुलाने में बहुत वक़्त लगेगा.