दीन दयाल उपाध्याय रोज़गार योजना

दो एक दिनों से दिल्ली में हूँ और सुप्रीम कोर्ट की कृपा से छींक नहीं रहा हूँ.

पिछले छे आठ महीने से पिताजी जिस सोसाइटी में रहते हैं दिल्ली में, उधर सारी बिल्डिंगों की मरम्मत चल रही है है.
अब आप भी सोचेंगे के किस पुरानी खंडर किस्म की बिल्डिंग में वो रहते हैं. ऐसे तो बिल्डिंग ज़्यादा पुरानी नहीं है, बने हुए केवल दस-बारह साल हुए हैं.

तो फिर मरम्मत क्यों? बिल्डर ने सीमेंट से ज़्यादा रेती मिलाई ? या उसने जहाँ जहाँ ईटें लगानी थी, वहां भूसा भरा? अब ये तो बड़ी आम बात है, इसपर क्या टिपण्णी की जाए.

पर ये भी कहना ज़रूरी है, के वो बिल्डर बहुत बड़ा देश भक्त था (शायद अब भी हो, कौन जानता है).
और देश भकत होने के अलावा वो बहुत दूरदर्शी भी था.

अब आप पूछेंगे कैसे? तो देखिये, जब ये बिल्डिंग पहले बनी तो इस पर काफी लोगों ने काम किया. इस से रोज़गार पैदा हुआ. अब क्योंकि बिल्डर ने रेती ज़्यादा मिलाई और भूसा ज़्यादा भरा, एक दशक के बाद, बिल्डिंग पे फिर से काम हो रहा है. और फिर से काम हो रहा है तो फिर से रोज़गार भी पैदा हो रहा है.  बस रोज़गार ही नहीं, फिर से सीमेंट भी खाईदा जाएगा। उस में रेती भी मिले जाएगी.

और रोज़गार को इस देश को बहुत ज़रुरत है. आसानी से मिलता नहीं.

तो था न हमारा बिल्डर देशभक्त और दूरदर्शी? अब ये अलग बात है के इस बार जो रोज़गार पैदा हो रहा है उस में बिल्डर का एक नया पैसा नहीं खर्च हो रहा है.

अब ये कहाँ की बात हुई, के देश भक्ति भी करें और साथ में पैसा भी खर्च हो? न जी न.

काफी लोग जो अंग्रेजी में मेरा विश्लेषण पढ़ते है, उनका ये कहना के, ये सब तो ठीक है, पर ये बताएं के इसका solution क्या है? लगता है केमिस्ट्री खूब पढ़ी है इन लोगों ने.

अब ये जो कहानी हमने यहाँ बताई है, इस से इस देश के लिए बहुत बड़ा solution निकल सकता है — दीन दयाल उपाध्याय रोज़गार योजना (अरे आप को क्या लग रहा था, के मैंने हैडलाइन बस ऐवें ही आपका ध्यान आकर्षित करने के लिए लगाई है…)

केंद्रीय सरकार और राज्य सरकारों को ये नियम बना देना चाहिए, के हर बिल्डिंग की मरम्मत, पांच साल के बाद होनी चाहिए. इस से रोज़गार पैदा होगा, और वो भी सेल्फ-एम्प्लॉयमेंट वाला, जिसकी आजकल काफी चर्चा है (और बस चर्चा ही है).

अब इस में रिस्क ये है, के बिल्डर लोग सीमेंट कम और भूसा ज़्यादा वाला फार्मूला लगाएंगे, जिस से के कुछ एक बिल्डिंगें बनते बनते ही गिर जाएँगी.

अब इतनी बड़ी जमूरियत है, एक आधी बिल्डिंग तो गिरती रहती है, इस में परेशां होने की कोई खास बात नहीं. बड़े बड़े देशों में अक्सर छोटी छोटी बातें होती ही रहती है.

और अगर बिल्डिंग जल्दी गिरी तो रोज़गार भी जल्दी पैदा होगा.

हाँ हाँ हो सकता हैं, नौ महीने में ही. नहीं तो 2019 तक तो बिलकुल पक्का…

अरे क्या? 2019, 2022 तक स्थगित कर दिया गया है? तो चलिए फिर 2022 ही सही.