Where George Orwell meets Wasim Barelvi 

george orwell
अभी कुछ दिनों की बात के एक मित्र जो के हिंदुस्तानी में थोड़ा बहुत लिखते हैं, उन्होने पुछा के जॉर्ज ओरवेल की Animal Farm में एक पंक्ति है “All animals are equal, but some animals are more equal than others,”  इसका हिंदुस्तानी में क्या अनुवाद होगा.

अब एक तरीका ये था के ओरवेल की इस पंक्ति का सीधे सीधे अनुवाद किया जाए. मुझे ये तरीका बड़ा बोरिंग लगा, क्यूंकि हर भाषा में इतनी गहराई होती है, के कम से कम मिसाल तो उसी भाषा में दी जा सके.
तभी मेरी tubelight हमेशा की तरह देर से जली और प्रोफेसर वसीम बरेलवी का एक शेर याद  आया: “गरीब लहरों पर पहरे बिठाये जाते हैं, समन्दरों की तलाशी कोई नहीं लेता”. इस शेर का भी लगभग वही माने है जो ओरवेल की पंक्ति का है.

ओरवेल ने अपनी बात प्रोफेस्सर बरेलवी से काफी पहले कही थी. क्या ओरवेल की ये पंक्ति प्रोफेसर साब के शेर की प्रेरना है? अब ये तो वही बता सकते हैं.

मतलब इसका ये है, के दुनिया में जो भी कहा जा सकता है, वो कहा जा चूका है. आप बस इतना कर सकते हैं को उसी बात को अपने अंदाज़ में कह सकते हैं. और अपने अंदाज़ में प्रोफेसर बरेलवी ने ये बात खूब कही है.

अब GST को ही ले लीजिये…
Prof._Wasim_Barelvi_(2)

Where George Orwell meets Wasim Barelvi 

george orwell
अभी कुछ दिनों की बात के एक मित्र जो के हिंदुस्तानी में थोड़ा बहुत लिखते हैं, उन्होने पुछा के जॉर्ज ओरवेल की Animal Farm में एक पंक्ति है “All animals are equal, but some animals are more equal than others,”  इसका हिंदुस्तानी में क्या अनुवाद होगा.

अब एक तरीका ये था के ओरवेल की इस पंक्ति का सीधे सीधे अनुवाद किया जाए. मुझे ये तरीका बड़ा बोरिंग लगा, क्यूंकि हर भाषा में इतनी गहराई होती है, के कम से कम मिसाल तो उसी भाषा में दी जा सके.
तभी मेरी tubelight हमेशा की तरह देर से जली और प्रोफेसर वसीम बरेलवी का एक शेर याद  आया: “गरीब लहरों पर पहरे बिठाये जाते हैं, समन्दरों की तलाशी कोई नहीं लेता”. इस शेर का भी लगभग वही माने है जो ओरवेल की पंक्ति का है.

ओरवेल ने अपनी बात प्रोफेस्सर बरेलवी से काफी पहले कही थी. क्या ओरवेल की ये पंक्ति प्रोफेसर साब के शेर की प्रेरना है? अब ये तो वही बता सकते हैं.

मतलब इसका ये है, के दुनिया में जो भी कहा जा सकता है, वो कहा जा चूका है. आप बस इतना कर सकते हैं को उसी बात को अपने अंदाज़ में कह सकते हैं. और अपने अंदाज़ में प्रोफेसर बरेलवी ने ये बात खूब कही है.

अब GST को ही ले लीजिये…
Prof._Wasim_Barelvi_(2)